Wednesday, September 14, 2011

बम-ब्लास्ट


कितने मरे? कितने घायल हुए?
कहा कहा और धमाके हुए?
चर्चा का दौर खतम हो गया
हर कोइ सब कुछ भुल गया,
काम अपना हम करते रहे
बम-ब्लास्ट होते रहे.

कोइ कहता है लोकल  है
किसी को डाउट विदेशी पे है,
कही कडक कदम की बात है
हर कोइ यहा कंफ्युझ्ड है,
हम सब की सुनते रहे
बम-ब्लास्ट होते रहे.

जब 9/26 का हमला भया
ग्रुह मंत्री घर गया,
नये दफ्तर, और मंत्री नये
आश्वासन बहुत दीये गये,
लेकिन फिर सब सो रहे
बम-ब्लास्ट होते रहे.

ब्रिटन-यु.एस. मे हमले नही
लोगो को किसीका डर नही,
इंडिया बन गया खुला खेत
जब जी चाहे वो कर देत,
नेताजी भाषण दे रहे
बम-ब्लास्ट होते रहे.

बम-ब्लास्ट जब होते है
आम लोग ही मरते है,
जब कोइ खास मरेगा
तब तंत्र कुछ करेगा,
इंतझार हम कर रहे
बम-ब्लास्ट होते रहे.

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